Incidentally Speaking
Not all those who wander are lost.....
Thursday, February 11, 2010
आँखों
से
ओझल
भी
हो
और
साथ
भी
मेरे
चलते
हो
कड़ी
धूप
में
पाँव
जलें
और
थक
कर
जब
कुछ
मैं
रुक
जाऊं
भर
कर
मुझको
बाहों
में
ये
क्या
कुछ
मुझसे
कहते
हो
कैसे
कहूँ
मैं
दूर
हूँ
तुमसे
मुझमे
ही
तो
रहते
हो
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