हम तुम से जुदा हो के,
मर जायेंगे रो रो के
झूठ है जी । बिलकुल मिथ्या है, गप्प है, कपोल कल्पना है। कोई ना मरता किसी से जुदा हो के । मैंने तो न देखा जी ऐसा नजारा ।
तो अब आप कहोगे की फिर क्यों चुना है यह गाना songs i like की category में ?तो मैं कहूँगी की फिर क्या हुआ ? अगर खुशी के आंसू हो सकतें हैं, तो थोडी देर के लिए झूठ मूठ की बात पसंद भी तो आ सकती है | अब आप कहोगे की ये क्या logic हुआ? चलो फिर, पसंद इसलिए है कि इस गाने में एक पंक्ति आती है, which happens to be a very powerful combination of words.
एक मौज किनारे से
मिलने को तरसती है
एक तस्वीर सी नही बनती? कि दूर समंदर के बीचों बीच, एक लहर है, जो बाहर आना चाहती है। उस अथाह सागर के बोझ तले दबी हुई - कैद । उसकी सांसो में समुद्र हिलता है। उसकी विकलता पर जहाज़ तैरते हैं। उसकी वेदना वाश्प बन कर उड़ती है - जिससे जल चक्र चलता है। वो धरती के गर्भ से ऊर्जा ले कर जल्जन्तुओं को पहुंचाती है, और जब वो खर्च हो कर सतह तक पहुँचती है तो उसकी आह बदल बन कर उठती है। चांदनी रात में वो जब रुक कर अपने साहिल को देखती है तो लोग समझते हैं कि समुद्र ज्वार पर है।
तो अब आप कहोगे कि लो भइया, बेगानी सादी में अब्दुल्लाह दीवाना। किसी और के तकलीफ पर तुम काहें कविता कर रही हो? तो मैं कहूँगी कि, कि,....
तो मैं कहूँगी कि भाई तुम सवाल बहुत पूछते हो। चुप चाप रिक्से चलाओ अपना। देर हो रही है हमें। चबर चबर लगा रख्खी है। हुंह ।
No comments:
Post a Comment