Tuesday, December 21, 2010

उस हाथ का साया सर पर था
तब बाप का साया सर पर था
मैंने गलियों गलियों ढूँढा जिसको
वो पीर तो मेरे घर पर था
उस हाथ का साया सर पर था
तब बाप का साया सर पर था

2 comments:

Anonymous said...

Very touching...Very good...
-Sukh.

transient said...

thanks sukh