Thursday, December 25, 2008

ye bhi to uska apraadh nahi

ये भी क्यों लगता उसका अपराध नहीं
फिर मिलने की की जो उसने साध नहीं
जमना के पानी में फिर
उट्ठा वो ऊफान नहीं
ये दुखः जरना आसान नहीं
अब कृष्ण कहीं और राध कहीं
और मिलने की
की ही उसने साध नहीं

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